बड़े घनत्व की छोटी-छोटी कविताएँ : विजय कुमार मिश्र (Vijay Kumar Mishra) साहित्य जन मंथन

बड़े घनत्व की छोटी-छोटी कविताएँ : विजय कुमार मिश्र (Vijay Kumar Mishra)

कवि – राकेश मिश्र (Rakesh Mishra)समीक्षक – डॉ. विजय कुमार मिश्र (Vijay Kumar Mishra) वैज्ञानिक शोधों और निष्कर्षों के आधार पर यह स्पष्ट है कि यह संसार ऊर्जा की ही क्रीड़ा है। भयानक विस्फोट से जिन तारों की उत्पत्ति हुई उन्हीं तारों के बीच ठंडे हो गए छोटे-छोटे तारों में आगे पढ़ें..

जी-मेल एक्सप्रेस | G-Male Express | अलका सिन्हा | डॉ. विजय कुमार मिश्र | साहित्य जनमंथन | साहित्य जन मंथन

जी-मेल एक्सप्रेस | G-Male Express | अलका सिन्हा | डॉ. विजय कुमार मिश्र | साहित्य जनमंथन |

उपन्यास ‘जी-मेल एक्सप्रेस’ (G-Male Express) अपने कथन और शिल्प में अनूठा है और यह पाठकों को चौंकाता है। यह अपने शीर्षक के अनुरूप किसी तकनीकी विषय पर आधारित न होकर यौनाचार, युवाओं की महत्वाकांक्षा और उसके भटकते मन के साथ ही उनके द्वारा किए जाने वाले समझौतों के कारण उपजी आगे पढ़ें..

अपना अपना भाग्य कहानी की मार्मिकता साहित्य जन मंथन

अपना अपना भाग्य कहानी की मार्मिकता

Apna Apna Bhagya kahani ki Marmikta – जैनेन्द्र कुमार जैनेन्द्र कुमार – जन्म: 2 जनवरी, 1905 मृत्यु: 24 दिसम्बर, 1988 हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार, उपन्यासकार तथा निबंधकार थे। ये हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक के रूप में मान्य हैं। जैनेन्द्र अपने पात्रों की सामान्यगति आगे पढ़ें..

उत्तर – पूर्वी भारत के आदिवासी साहित्य जन मंथन

उत्तर – पूर्वी भारत के आदिवासी

हिंदी साहित्य की जड़े जितनी मजबूत हैं उतनी गहरी भी। आज हिंदी साहित्य देश में ही नहीं विदेशों में भी लिखा और पढ़ा जा रहा है इसके प्रचार प्रसार के लिए हमारे हिंदी साहित्य के लेखक अहम भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं उन्ही लेखकों में एक हैं वीरेंद्र परमार आगे पढ़ें..

पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम साहित्य जन मंथन

पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम

हिंदी साहित्य की जड़े जितनी मजबूत हैं उतनी गहरी भी। आज हिंदी साहित्य देश में ही नहीं विदेशों में भी लिखा और पढ़ा जा रहा है इसके प्रचार प्रसार के लिए हमारे हिंदी साहित्य के लेखक अहम भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं उन्ही लेखकों में एक हैं वीरेंद्र परमार आगे पढ़ें..

आकाशदीप और अपना-अपना भाग्य कहानी की समीक्षा साहित्य जन मंथन

आकाशदीप और अपना-अपना भाग्य कहानी की समीक्षा

आकाशदीप हिंदी गद्य विधाओं में ‘कहानी’ एक महत्वपूर्ण और सशक्त विधा बन कर उभरी । आज के वर्तमान समय काफी तेज गति से भाग रही है। दुनिया 5g- 6g की खोज में जुटी है।  ऐसे परिस्थितियों में साहित्य के अन्य विधा जैसे उपन्यास, नाटक आदि सामान्य जनमानस में एक उबाऊपन आगे पढ़ें..

कहानी-राही(सुभद्राकुमारी चौहान) समीक्षा साहित्य जन मंथन

कहानी-राही(सुभद्राकुमारी चौहान) समीक्षा

देश को स्वाधीनता प्राप्त करें 72 वर्ष हो गए हैं। यह किसी व्यक्ति या देश के संदर्भ में बहुत लंबा समय है, जिसे कहीं पीछे छोड़ कर हम बहुत आगे बढ़ गये हैं किंतु जब पलट कर देते हैं तो अपने आप को वहीं खड़ा हुआ पाते हैं। क्योंकि बहुत आगे पढ़ें..

उसने कहा था' और 'चीफ की दावत (समीक्षा) - मनीषा शर्मा साहित्य जन मंथन

उसने कहा था’ और ‘चीफ की दावत (समीक्षा) – मनीषा शर्मा

‘उसने कहा था’ और ‘चीफ की दावत’- मनीषा शर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली उसने कहा था चंद्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी साहित्य के प्रथम सर्वश्रेष्ठ कहानीकार थे, इनकी सृजनशीलता के मुख्य चार पड़ाव है- मर्यादा, समालोचक, प्रतिभा और नागरी प्रचारिणी पत्रिका, इन्होंने तीन कहानियों की रचना की -सुख में जीवन , बुद्धू आगे पढ़ें..

प्रेमचंद कृत ‘निर्मला’ उपन्यास का मनोवैज्ञानिक चित्रण साहित्य जन मंथन

प्रेमचंद कृत ‘निर्मला’ उपन्यास का मनोवैज्ञानिक चित्रण

मानव- मन एक अतल सागर के समान है, जिसकी अथाह गहराईयों को नापने का प्रयास बहुत समय से होता रहा है| प्रत्येक मानव को प्रकृति द्वारा लगभग एक समान आकार–प्रकार, अंग –विन्यास, उनका व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त होने पर भी उनके रास्ते, उनका स्वभाव, उनका अपना–अपना दृष्टिकोण होता है| इन विभिन्नताओं आगे पढ़ें..

लाल पान की बेगम साहित्य जन मंथन

लाल पान की बेगम

सामान्य परिचय- आज आठ वर्षों के बाद फणीश्वरनाथ रेणु रचित ‘लाल पान की बेगम’ से दो चार हो रहे थे।यह कहानी ग्रामीण पृष्टभूमि पर लिखी मार्मिक कहानियों में से एक हैं।यह 1956 में लिखी गयी थी।इस कहानी के मुख्य पात्रा ‘बिरजू की माँ’ है।इनके अलावा बिरजू,बिरजू के बप्पा,चम्पिया,मखनी फुआ,जंगी की आगे पढ़ें..