गाँधी की नर्म आवाज, अहिंसा तथा सत्याग्रह : ब्रिटिश शासन के खिलाफ शस्त्र साहित्य जन मंथन

गाँधी की नर्म आवाज, अहिंसा तथा सत्याग्रह : ब्रिटिश शासन के खिलाफ शस्त्र

Gandhi : जब भारत में बैठी गुलामी और शोषण नामक बिमारियों का इलाज से कोई नतीजा नहीं निकल रहा था, तब गाँधी जी का यहॉं आना हुआ। गाँधी जी ताजी हवा की उस प्रवल प्रवाह की तरह थे, जिसने अपने बहाव से भारत को बहुत -सी बिमारियों से मुक्त किया। आगे पढ़ें..

‘मीठी नीम’ उपन्यास के जरिये पर्यावरण संरक्षण की अपील साहित्य जन मंथन

‘मीठी नीम’ उपन्यास के जरिये पर्यावरण संरक्षण की अपील

Meethi Neem: सारांश भारतीय संस्कृति हमेशा ही प्राकृतिक संपदा के संरक्षण का संदेश देती रही है, प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों तथा महापुरुषों ने भारतीय प्राकृतिक संपदा जल, जंगल और जमीन के प्रति पर्यावरण चेतना को जनजीवन से जोड़ने की कोशिश की है, इनके अनुसार प्रकृति से उसका प्रेम आगे पढ़ें..

सतकर्म का आचरण - प्रफुल्ल सिंह (Prafull Singh) साहित्य जन मंथन

सतकर्म का आचरण – प्रफुल्ल सिंह (Prafull Singh)

Prafull Singh: अनासक्त होकर कर्म करने वाला ईश्वरार्थ कर्म करता है। श्रेष्ठ मनुष्य जो-जो कर्म करते है, दूसरे लोग उसका अनुसरण करते है। ईश्वर को कोई भी कर्म नहीं करना पड़ता। क्योंकि उन्हें कोई भी अप्राप्त वस्तु प्राप्त नहीं करनी है। तीनों लोकों में उनका कोई भी कर्म नहीं है। आगे पढ़ें..

कबीर की सामाजिक चेतना(Kabir ki samajik chetna - Pavan Kumar) साहित्य जन मंथन

कबीर की सामाजिक चेतना(Kabir ki samajik chetna – Pavan Kumar)

Kabir ki samajik chetna – Pavan Kumar: भक्ति काल का आरंभ निर्गुण भक्ति से होता है। और इसका प्रवर्तक कबीर को माना जाता है। मध्यकालीन भक्ति आंदोलन को उन्होंने दिशा भी दी और दृष्टि भी। वे अपने युग के महान कवि, क्रांतिकारी, भक्त, विचारक और तत्वदृष्टा थे तथा अपने जीवन आगे पढ़ें..

नागमती वियोग खण्ड || पद्मावत || मलिक मुहम्मद जायसी || hindi sahitya साहित्य जन मंथन

नागमती वियोग खण्ड || पद्मावत || मलिक मुहम्मद जायसी || hindi sahitya

hindi sahitya: नागमती वियोग खण्ड  (nagmati viyog khand)की महत्वपूर्ण व्याख्या दी गयी है इसमें वही टॉपिक दिये गए है जो परीक्षा के हिसाब से उपयोगी है  नागमती वियोग खण्ड (Nagmati viyog khand) महत्त्वपूर्ण व्याख्या और तथ्य नागमती का विरह वर्णन जायसी के विरहाकुल हृदय की गहन अनुभूति का सर्वाधिक मार्मिक-चित्रण आगे पढ़ें..

Ravish का प्रशंसक हूँ आलोचक नहीं...मलय नीरव साहित्य जन मंथन

Ravish का प्रशंसक हूँ आलोचक नहीं…मलय नीरव

उद्घोषणा:रवीश का प्रशंसक हूँ,आलोचक नहीं;इसलिए तारीफ़ की मिठास अधिक हो तो बेझिझक नजर-अंदाज कर दें!! रवीश मतलब आधा कवि-प्रेमी-पिता-पुत्र-सहपाठी-श्रोता-आलोचक-लेखक-ब्लॉगर, लेकिन पूरा पत्रकार. लाल-पत्थर पत्रकारिता, गोदी मीडिया, वाट्सऐप यूनिवर्सिटी, लुटियन्स पत्रकारिता, जैसे लोकप्रिय उपाधि के जनक रवीश अब तक खुद उपाधि-विहीन हैं! कभी-कभी मैं रवीश के बारे में सोचता हूँ कि, आगे पढ़ें..

स्मृतियों को सहजने वाले कवि- विनय सौरभ साहित्य जन मंथन

स्मृतियों को सहजने वाले कवि- विनय सौरभ

हमारा समय हमारी कविता हमारा समय हमारी कविता श्रृंखला में आज हमारे कवि साथी हैं विनय सौरभ।आज शाम 5 बजे वे अपनी कविताओं का पाठ और बातचीत करेंगे।इस अवसर पर उनकी कविताओं पर केंद्रित एक आत्मीय आलेख लिखा है युवा कवि और दिल्ली विश्विद्यालय में शोधार्थी दिनेश कबीर ने।आइये पढ़ते आगे पढ़ें..

राम मनुज कस रे सठ बंगा साहित्य जन मंथन

राम मनुज कस रे सठ बंगा

बाबा गोस्वामी तुलसीदास की जयंती के अवसर पर एक छोटा सा लेख उनको याद करते हुए। आज जिसे हम भगवान राम कहते हैं, क्या हम उन्हें जानते हैं ? भारतीय समाज में राम का क्या महत्त्व है ? क्या हम राम को सच में जानते हैं ? तुलसीदास ने जिस आगे पढ़ें..

उपन्यास में गद्य की प्रधानता और उसकी भूमिका साहित्य जन मंथन

उपन्यास में गद्य की प्रधानता और उसकी भूमिका

आधुनिक काल के विभिन्न देनों में से एक, उपन्यास विधा समय के साथ अपने विकास के चरम स्तरों पर जा पहुँची है। उपन्यास जीवन की समग्रता को अपने अंदर समाहित करने वाली विधा है। यहाँ पर क्षणों , इकाइयों और हिस्सों में बाँट कर जीवन को देखने के बजाय जीवन आगे पढ़ें..

साहित्य और समाज की भिन्नता और अंतर्संबंध साहित्य जन मंथन

साहित्य और समाज की भिन्नता और अंतर्संबंध

साहित्य की परिकल्पना मनुष्य ने अपनी आदिम अवस्था में ही तय कर ली थी, हालांकि उसका स्वरूप लिखित न होकर मौखिक, चित्रित और पूर्णतः असम्बद्ध था। भीमबेटका के भित्तिचित्रों में उत्सव मनाते और शिकार करते आदि मनुष्यों के चित्रों ने एक आदिम कहानी को ही तो गुफा के निर्जीव पत्थरों आगे पढ़ें..