प्रकृति की आवश्यकता…संतुलन
एक प्रकार से देखा जाए तो वर्तमान में में तथ्यों की बाढ़ सी आ गई है l कारण भी है, सभी शारीरिक क्षमताएं शिथिल हो गई है और मानवीय मस्तिष्क अधिक गणात्मक हो गया है l किंतु गणना से परे यह विषय मनोवैज्ञानिक भी है, अतः इस मनोवैज्ञानिक आधार पर आगे पढ़ें..