प्रकृति की आवश्यकता...संतुलन साहित्य जन मंथन

प्रकृति की आवश्यकता…संतुलन

एक प्रकार से देखा जाए तो वर्तमान में में तथ्यों की बाढ़ सी आ गई है l कारण भी है, सभी शारीरिक क्षमताएं शिथिल हो गई है और मानवीय मस्तिष्क अधिक गणात्मक हो गया है l किंतु गणना से परे यह विषय मनोवैज्ञानिक भी है, अतः इस मनोवैज्ञानिक आधार पर आगे पढ़ें..

एक जुट हो रहा समाज साहित्य जन मंथन

एक जुट हो रहा समाज

चाइनीज वायरस के प्रकोप से जहाँ सम्पूर्ण विश्व त्राहि त्राहि कर रहा है, वहीं भारत भी इससे अलग नहीं रह सका, देर से ही सही लेकिन इस महामारी ने भारत में भी अपने पैर जमाये हैं, परंतु भारतीय प्रशासन और समाज की सजग भागीदारी द्वारा इस चाइनीज वायरस से छुटकारा आगे पढ़ें..

सोशल मीडिया और युवा साहित्य का लेखन साहित्य जन मंथन

सोशल मीडिया और युवा साहित्य का लेखन

आज का साहित्य और उसका चिंतन नई सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण पहले के साहित्य और उसके चिंतन से कई मायनों में बदल गया है।  चिंतन की जगह सूचनाएं इनके औज़ार हैं। नई पीढ़ी बदले हुए सामाजिक समूहों को आधार बनाकर नया साहित्य रच रही है जो तकनीक के बदले नए आगे पढ़ें..

अंतरराष्ट्रीय शांति के मार्ग में ड्रैगन का अतिक्रमण साहित्य जन मंथन

अंतरराष्ट्रीय शांति के मार्ग में ड्रैगन का अतिक्रमण

हाल ही में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में अतिक्रमण को लेकर भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में गहरा तनाव व्याप्त है। दोनों देश कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहे है। आगे पढ़ें..

डिअर डायरी साहित्य जन मंथन

डिअर डायरी

डिअर डायरी , कैसी हो ? काफी दिन बाद मिल रहें है……… जब से लॉकडाउन हुआ है| तुम्हारी और मेरी बाते कम हो गई है , रोज़ नया कुछ लाए तो लाए कहाँ से वही कोरोंना की खबरों ने घर-संसार को घेरा हुआ है| अगर कॉलज जाते तो बताते आज कैन्टीन में आगे पढ़ें..

वैश्विक महामारी कोविड 19 -क्या प्राथमिक है और क्या नहीं ? साहित्य जन मंथन

वैश्विक महामारी कोविड 19 -क्या प्राथमिक है और क्या नहीं ?

माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा कराई जा रही तमाम राज्यों में पुष्पवर्षा जिसकी जानकारी मुझे कल शाम को ही मिल चुकी थी, इस कोरोना रूपी जंग से लड़ने वाले उन तमाम योद्धाओं के प्रति एक सम्मानीय भाव, उत्साहवर्धन, उनके आत्मविश्वास को जिलाये रखना, उन्हें प्रोत्साहित करना और देश की जनता का आगे पढ़ें..

इश्क और वीडियो कॉल साहित्य जन मंथन

इश्क और वीडियो कॉल

सुनो तुम्हारी आवाज़ मंदिर की घण्टियों सी है…दूसरे शहर में , लोअर टीशर्ट डाले , मुनासिब डील डौल और खुश शक्ल लड़के ने मोबाइल कानों पर लगाए हुए दूर बन्द कमरे की खिड़की के पेंट को नाखूनों से खुरचती लड़की से कहा। लड़की की कान की लवें, तप उठीं उस आगे पढ़ें..

प्रिय ऋषि जी - आशिक साहित्य जन मंथन

प्रिय ऋषि जी – आशिक

अभी अभी एक मित्र ने फ़ोन पर आपके निधन की ख़बर दी है। सुनकर लग रहा है कि मेरे भीतर का बहुत सारा बचपन मर गया है। मेरी उम्र के लोग, जो नब्बे के दशक की पैदाइश हैं, उनके लिए आप उनके बचपन की खूबसूरती थे। दूरदर्शन के दौर में आगे पढ़ें..

डॉ. आंबेडकर और “सोशल डिस्टेंसिंग” साहित्य जन मंथन

डॉ. आंबेडकर और “सोशल डिस्टेंसिंग”

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए आज “सोशल डिस्टेंसिंग” का जोर-शोर से प्रचार चल रहा है। दुनिया के कई देशों में जब कोरोना का खतरा बढ़ना शुरू हुआ तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए प्रारम्भ में “सोशल डिस्टेंसिंग” शब्द का इस्तेमाल आगे पढ़ें..

अलिभा साहित्य जन मंथन

अलिभा

आधुनिक युग में समय अधिकता से अधिक तेज चल रही है । आज के युग में हर कोई जल्द-से-जल्द आगे जाना चाहता है । समाज के बारे में सोचने व समझने के लिए किसी के पास समय नहीं है । लेकिन किसी विषय पर परिहास या टिप्पणी करने में अपने आगे पढ़ें..