मजदूर

मजदूर साहित्य जन मंथन

इधर उधर फैक्ट्री में वह ,
दिन रात काम करता ,
साल भर खून पसीने से कमाता,
फिर भी कुछ नही पाता ।
मालिक से पैसा कमा खाता,
संकट में सड़कों पर मर जाता ।
“मजदूर” की दुःखद कहानी,
आज दुनिया को सुनाता हूं ।
पसीने में तन भिगोकर ,
फैक्ट्री में धन जमाता ,
देश की अर्थव्यवस्था चलाता ,
फिर फूटी किस्मत पर रोता है ,
गांव जाने को रोता ,
फ़टी जेब को खाली देख कर ,
वह सड़को पर आ जाता ,
जब जीवन दूभर देख कर ,
वह घर की ओर जाता है
मै आज तुम्हे प्रवासी की कहानी सुनाता हूं ।

खाने की रोटी पर मजदूर ,
अपना दुख दर्द सुनाता ,
वह बच्चो की भूख देख कर ,
उसका ह्रदय आघात हो जाता ,
सुनसान सड़को पर वह ,
निकल कर आता है ।
” मजदूर ” की दुःखद कहानी ,
आज दुनिया को सुनाता हूं ।
बिन पानी ,रोटी में रहकर ,
मीलो दूर चला आता ,
सत्ता पर प्रश्न चिन्ह ,
वह व्यापक रूप में लगता ,
पुनः दुनिया को वह,
पुराना दौर दिखाता है ,
गरीब को दास बनने का दौर ,
एक बार फिर से दिखला जाता है ।
महामारी में भी रोजी रोटी पर ,
प्रश्न चिन्ह लग जाता है
मै आज तुम्हे प्रवासी की कहानी सुनाता हूं ।

नाम- कुश कुमार ( युवराज )
पता – अशोक विहार सत्यवती कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली 110052
मो. 8417983420

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