सब कुछ खत्म हो जाएगा एक दिन (Pavan Kumar)

सब कुछ खत्म हो जाएगा एक दिन (Pavan Kumar) साहित्य जन मंथन

Pavan Kumar:

सब कुछ खत्म हो जाएगा
एक दिन…
शरीर तो मर गया है
आत्मा मर जाएगी
एक दिन….

ये इश्क जुनून, फुलबारी का
एक दिन…
आहिस्ता आहिस्ता सब कुछ
खत्म हो जाएगा
एक दिन…

आंखों से पट्टी खुलेगी जब
एक दिन…
दिखेगी हकीकत, सपनों में
एक दिन…

जिन महलों को हमने बनाया था
एक दिन…
उन्हें बेच रहा वो, मुनीम बुलाया था
एक दिन…

अभी वक्त है सब बचाने को
एक दिन…
नहीं तो…
सब कुछ खत्म हो जाएगा
एक दिन…

पवन कुमार ( दिल्ली विश्वविद्यालय )

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