प्रथम रश्मि साहित्य जन मंथन

प्रथम रश्मि

प्रथम रश्मि का आना रंगिणि! तूने कैसे पहचाना? कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि! पाया तूने वह गाना? सोयी थी तू स्वप्न नीड़ में, पंखों के सुख में छिपकर, ऊँघ रहे थे, घूम द्वार पर, प्रहरी-से जुगनू नाना। शशि-किरणों से उतर-उतरकर, भू पर कामरूप नभ-चर, चूम नवल कलियों का मृदु-मुख, सिखा रहे आगे पढ़ें..