जीवन की ही जय हो साहित्य जन मंथन

जीवन की ही जय हो

मृषा मृत्यु का भय है जीवन की ही जय है । जीव की जड़ जमा रहा है नित नव वैभव कमा रहा है यह आत्मा अक्षय है जीवन की ही जय है। नया जन्म ही जग पाता है मरण मूढ़-सा रह जाता है एक बीज सौ उपजाता है सृष्टा बड़ा आगे पढ़ें..